Thursday 24 June 2010
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एवमेव मम दैनन्दिनजीवनविषये अत्र सरलेन संस्कृतेन लिखामि (कठिनं संस्कृतं न मया ज्ञायते अपि)इति धिया अयं स्वैरालय:(स्वैरं निर्मित: अयं शब्द: blogवाची!)आरब्ध:। तत् क्वचित् कुत्रास्ति अयं किञ्च कुर्वाण: इति मद्विषयिण्यां जिज्ञासायामुत्पन्नायाम् अवश्यं दृश्यताम् अत्र। :)
संस्कृत की सेवा एवं उसे बढ़ावा देने के लिए. आप जो कर रहे है उसके लिए साधुवाद, यहाँ भी आयें और follower बन कर हमारा उत्साह बढ़ाएं. www.upkhabar.in/
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना,
ReplyDeleteमैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.समाज में समरसता,सुचिता लानी है तो गलत बातों का विरोध करना होगा,
हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.